मिशन चंद्रयान-3 का आज श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण कर दिया गया है इसके साथ ही भारत इतिहास रचने को तैयार है। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण हेतु पूरी टीम को बधाई दी है। उन्होंने उम्मीद जताई है सब कुछ सही रहा तो आगामी 23 अगस्त को चंद्रयान 3 चंद्रमा पर उतरेगा।
लैंडर विक्रम को किया गया और मजबूत
चंद्रयान-3 को आज दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। चंद्रयान-3 में चंद्रयान-2 के मुकाबले काफी कुछ बदलाव किया गया है। लैंडर विक्रम के पैरों को ज्यादा मजबूत किया गया है। नए सेंसर लगाए गए हैं। सोलर पैनल से उसे लैस किया गया है। एक सबसे बड़ा बदलाव जो हुआ है वह है लैंडिंग एरिया का बढ़ाया जाना।वहीं एक दिन पहले इसरो ने बताया कि एमआरआर बोर्ड ने प्रक्षेपण को अधिकृत कर दिया है। इसरो ने प्रक्षेपित किए जाने वाले चंद्रयान-3 मिशन के लिए संपूर्ण प्रक्षेपण तैयारी और प्रक्रिया का 24 घंटे का प्रक्षेपण पूर्वाभ्यास किया। मिशन को प्रक्षेपण यान मार्क 3 (एलवीएम3) से प्रक्षेपित किया जाना है। इस पूरे मिशन का खर्च 615 करोड़ है।
भारत का अब तक का चंद्रयान सफर
चंद्रयान-1
भारत का पहला चंद्रयान मिशन 22 अक्टूबर 2008 को को लॉन्च किया गया था। इसमें एक ऑर्बिटर और एक इम्पैक्टर चांद की ओर भेजा गया था। 8 नवंबर 2008 को चांद की कक्षा में पहुंचा। यह मिशन दो साल के लिए था। चंद्रयान-1 ने चांद की सतह पर पानी के संकेत खोजे।
चंद्रयान-2
20 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 को चांद की कक्षा में पहुंचाया गया। 7 सितम्बर को विक्रम लैंडर को चांद पर फाइनल लैंडिंग होनी थी लेकिन चांद की सतह से कुछ दूरी पर ही इसका ISRO से संपर्क टूट गया। हालांकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अभी भी चांद की कक्षा में अपना काम कर रहा है।
चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला चरण है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और परीक्षण करेगा। 14 जुलाई को भारत अपना चंद्रयान-3 लॉन्च कर रहा है। यह मिशन इसरो के चंद्रयान-2 मिशन का फॉलोअप मिशन है। चंद्रयान-3 में इस बार ऑर्बिटर नहीं जा रहा है, केवल एक लैंडर और रोवर जा रहा है। 23 या 24 अगस्त को यह चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा। यह मिशन भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बना देगा।
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